( १ )
राजनीति में तिकड़मबाजी , अब कुछ हो गयी ज्यादा।
आधे में सब सेवक -वेवक, आधा खाये प्यादा।
(२ )
जनता मिमियाए तो उसको, मिल जाता है दाना ।
बाढ़ ,सूखा के नाम से उसको ,मिल जाता हर्जाना।
(३ )
बोट के खातिर सब कुछ करते , बोट है माई-बाप।
इस के पर जो बात करेगा , उसका रास्ता साफ।
इस के पर जो बात करेगा , उसका रास्ता साफ।
(४ )
नेता जी तो सदा -सदा से , मंचों पर मुस्काएं।
देख-दाख वह भीड़-भाड़ को , सेवक पर हरसाये।
सेवक पर हरसाये तो फिर ,दे दिया खूब 'होना '।
सेवक का कैरेक्टर कैसा ,नहीं है इसपे जाना।
(५ )
नहीं योग्यता कोई चाहिए , ना शिक्षा की डिग्री।
नेता बनना हो तो चाहिए ,मात्र चमचागिरी।
( ६ )
भइया अब अखबारनबीसों की , हो गयी है चांदी ।
लेख लिखो ,रिपोर्ट लिखो काटो खूब अमादी।
(७ )
आया मौसम चुनाव का ,लगे पोस्टर बीस।
नेता जी मिमिया रहे हाथ जोड़ कर खीस।
-उमेश चंद्र श्रीवास्तव
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