जो गए सपूत हमारे तो,
उनको है शत-शत बार नमन।
सत्ता में बैठे-नेतागण ,
कुछ तो शर्मिंदा होवो तुम।
माना तुमने है व्यक्त किये -
'शहीद हमारे जितने हैं ,
हम उनके बलिदानो को तो ,
जाया नहीं होने देंगे कभी। '
यह पाक पड़ोसी जो मेरा ,
उसकी क्या इतनी हिम्मत है।
वह सोते हुए रणबाकुरों को ,
भारत के लाल सपूतों को ,
सीमा के रक्षक सैनिक को ,
ऐसे ही मरेंगे आकर।
उनकी हिम्मत को पस्त करो।
वह जहाँ भी हो सीमा करीब ,
उनको तुम दौड़ा -दौड़ा कर ,
सीमा के पार भगाओ तुम।
बस बात करोगे ऐसे ही ,
तो पाक करेगा मनमानी।
जो तना-तनी, अफरा-तफरी ,
सीमा पर बनी हुई अब है।
उसका तो कुछ - तोड़ तो दो ,
ये पाक मंसूबे को तुम तो ,
उसके ही मुहं में मरोड़ तो दो।
बस यही हमारी श्रद्धा है।
है वीरा सपूतों को मेरा।
शत कोटि नमन ,शत कोटि नमन।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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