पास बैठो जरा बात मुझसे करो ,
ये जो तनहा समय है गुजर जायेगा।
चुप रहोगी तो बातें बिगड़ जाएंगी ,
बात करने से सब कुछ संवर जायेगा।
यह शिकन जो है माथे पे छाया हुआ ,
मुस्कुराओ तो तबियत बहल जाएगी।
मुक्त गफलत जो तुम तनी हो वहां ,
पास आओ जरा कुछ सुकुं तो मिले।
यह तो जीवन है चलता यहाँ नोक-झोक ,
खिलखिलाओ तो मौसम बदल जायेगा।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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