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Monday, November 28, 2016

नर ,मन को पढ़ के चलो आगे

नर ,मन को पढ़ के चलो आगे ,
नर ,मन ही सब कुछ करता है।
आगा-पीछा , दायां-बायां ,
सब सोच समझ कर कहता है।
मन सदा-सदा अच्छा कहता ,
दानव जो इसके भीतर है ,
वह ही भरमाता रहता है।
जब लाग-लपेट में तुम आये ,
बस काम गलत करवा जाता।
मन सच्चा है ,मन बच्चा है ,
पुचकारो,उसे दुलारो खुब ,
संयत करके निज भव मद को ,
मन में तौलो, मन में खौलो,
तब बड़ी सावधानी से भाई,
मन के विचार को आने दो।
जो वह कहता-वह सभी करो ,
नाहक अलसायी आँखों में ,
बेमतलब ,बेतुक मत उलझो।
मन दृष्टि रहा ,मन वृष्टि रहा ,
मन के भीतर के भावों को ,
तन भी माने ,जन भी माने ,
बस काम वही करना नर तन ,
मन ही तो सलोना सच्चा है।
मन बच्चा है ,मन बच्चा है।

उमेश चंद्र श्रीवास्तव-





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