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Thursday, November 3, 2016

दुर्दिन में आंसू पीकर के

दुर्दिन में आंसू पीकर के ,
स्मृति का देखा बस लेखो।
ढरके मन को विश्राम करो,
बस मौन रहो, तुम मौन रहो। 
काट जायेंगे विश्रांत बादल, 
आने-जाने दो जीभर के।  
आराम शांत बस मौन रहो। 
कट जायेंगे  दुःख रजनी के। 
हर रात के बाद सवेरा है ,
हर सुबह के बाद शाम आती। 
पीड़ाओं की गठरी भी तो,
ऐसे ही चली-चली जाती। 
छलकाओ मत आंसू अपना ,
यह नयन रतन के मोती हैं, 
इनको तो सजोना है तुमको,
सुख में ही बरसाना इनको,
ये सुखद सहज सगोति हैं। 
          दुर्दिन में आंसू पीकर के ,
         स्मृति का देखा बस लेखो।


उमेश चंद्र श्रीवास्तव -

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