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Friday, April 14, 2017

ज़रा खिलवन्त में आओ

poem by Umesh chnadra srivastava 

ज़रा खिलवन्त में आओ ,
ज़रा दीदार तो कर लें। 
नहीं कुछ मांगता ,
बस प्यार सा, कुछ प्यार तो करलें। 
रहेगी बात-किस्सा प्रेम का ,
समझो अमर होगा। 
वो गाते गीत गाएंगे ,
कि जैसे राम 'औ' सीता। 
नहीं हम कृष्ण ,
पर राधा का कुछ ,
अहसास तो करलें। 
बताओ राधा-कृष्णा की ,
अमर जो प्रेम की बातें। 
न कोई घात ,न प्रतिघात ,
बस उनमें प्रेम पलता है। 
वही तुमसे हमें-अपनी ,
कहानी को बनाना है। 
ये किस्सा है पुराना ,पर ,
ज़रा नज़दीक तो आना। 
वहां क्यों दूर से -
दाना पे दाना डालती क्यों हो ?
रिझाने में मज़ा ,
यह मानता ,
पर बात को समझो। 
      ज़रा खिलवन्त में आओ ,
      ज़रा दीदार तो कर लें। 






उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
poem by Umesh chnadra srivastava 

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