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Monday, April 17, 2017

उनसे कहो कि वो तो आके बात तो करें

poem by Umesh chandra srivastava

उनसे कहो कि वो तो आके बात तो करें।
नफरत 'औ' सितम कब तलक , बेज़ार न करें।

माना हुई गलती-जो उन्हें ताना दे दिया।
पर उनने भी हमको-उलहना भी खूब दिया।

दो चार रोज़ साथ रहे , फिर पलट गए।
न जाने कौन गम है , कि वो दूर हो गए।

माना कि कुछ ठहर के-मैं बात से मुकरा।
पर वह तो मुझसे एकदम तकरार कर गए।

अब बहुत हुआ कह दो , वो अब आएं घर मेरे।
वरना मुझे क्या मैं तो दूजा बसाऊंगा।


उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
poem by Umesh chandra srivastava 

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