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Saturday, April 15, 2017

नव नूतन यह मार्ग सुखद हो

poem by Umesh chandra srivastava

नये जोड़ों के लिए ,

नव नूतन यह मार्ग सुखद हो ,
नव नूतन व्यवहार रहे।
जीवन में आगे ही बढ़ना ,
यही भाव-विचार रहे।

जीवन की इस सुख बेला में ,
जीवन साथी मिला तुम्हें।
दोनों मिलकर-संयम धर के ,
आगे के सपने बुन लो ।

नए पंथ पर डट ,बढ़ जाओ ,
सब ही मिलेगा-गर एकाग्रित।
जीवन के इस रसिक पहर में ,
अड़चन की कोई डोर न हो।

निर्विवाद से जीवन चलता ,
यही बात मुखरित कर लो।
सब ही खिलेगा-इस पथ पर तो ,
बस एकाग्रित ,लगन धरो।
    नव नूतन यह मार्ग सुखद हो ,
    नव नूतन व्यवहार रहे।


उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
poem by Umesh chandra srivastava 

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