poem by Umesh chandra srivastava
नये जोड़ों के लिए ,
नव नूतन यह मार्ग सुखद हो ,
नव नूतन व्यवहार रहे।
जीवन में आगे ही बढ़ना ,
यही भाव-विचार रहे।
जीवन की इस सुख बेला में ,
जीवन साथी मिला तुम्हें।
दोनों मिलकर-संयम धर के ,
आगे के सपने बुन लो ।
नए पंथ पर डट ,बढ़ जाओ ,
सब ही मिलेगा-गर एकाग्रित।
जीवन के इस रसिक पहर में ,
अड़चन की कोई डोर न हो।
निर्विवाद से जीवन चलता ,
यही बात मुखरित कर लो।
सब ही खिलेगा-इस पथ पर तो ,
बस एकाग्रित ,लगन धरो।
नव नूतन यह मार्ग सुखद हो ,
नव नूतन व्यवहार रहे।
नये जोड़ों के लिए ,
नव नूतन यह मार्ग सुखद हो ,
नव नूतन व्यवहार रहे।
जीवन में आगे ही बढ़ना ,
यही भाव-विचार रहे।
जीवन की इस सुख बेला में ,
जीवन साथी मिला तुम्हें।
दोनों मिलकर-संयम धर के ,
आगे के सपने बुन लो ।
नए पंथ पर डट ,बढ़ जाओ ,
सब ही मिलेगा-गर एकाग्रित।
जीवन के इस रसिक पहर में ,
अड़चन की कोई डोर न हो।
निर्विवाद से जीवन चलता ,
यही बात मुखरित कर लो।
सब ही खिलेगा-इस पथ पर तो ,
बस एकाग्रित ,लगन धरो।
नव नूतन यह मार्ग सुखद हो ,
नव नूतन व्यवहार रहे।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
poem by Umesh chandra srivastava
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