poem by Umesh chandra srivastava
बहुत खूब मुखड़ा , सुनैयने हैं नैन ,
हुआ मैं दीवाना ,बहुत हूँ बेचैन।
तुम चलती तो लगता जहां हिल गया ,
करें बात क्या हम ,नहीं हमको चैन।
हैं बातें बहुत सी ,यह फितरत नहीं ,
मगन हो के नाचूँ ,करूँ क्या सुनैन।
तुम कहती हो ,प्रियतम तुम्हारी हूँ फैन ,
मगर अब कहें क्या ,तुम्हें हम फुनैंन।
अगर पास आओ , तो बातें बनें ,
सुखद हो सफर ,वरना चलने दो बैन।
मगर दिल तो ऐसा-नहीं मानता ,
तुम्हारे लिए ही ,धड़कता तूनैन।
बहुत खूब मुखड़ा , सुनैयने हैं नैन ,
हुआ मैं दीवाना ,बहुत हूँ बेचैन।
तुम चलती तो लगता जहां हिल गया ,
करें बात क्या हम ,नहीं हमको चैन।
हैं बातें बहुत सी ,यह फितरत नहीं ,
मगन हो के नाचूँ ,करूँ क्या सुनैन।
तुम कहती हो ,प्रियतम तुम्हारी हूँ फैन ,
मगर अब कहें क्या ,तुम्हें हम फुनैंन।
अगर पास आओ , तो बातें बनें ,
सुखद हो सफर ,वरना चलने दो बैन।
मगर दिल तो ऐसा-नहीं मानता ,
तुम्हारे लिए ही ,धड़कता तूनैन।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
poem by Umesh chandra srivastava
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