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Tuesday, October 11, 2016

हे शक्ति प्रदाता माँ जननी !

हे शक्ति प्रदाता माँ जननी ,
विजयादशमी है पर्व तेरा ,
तुमको हो बारंबार नमन। 
श्री राम शक्ति की प्रेरक तुम ,
मानस में तेरा रूप बसा ,
तन मन से , जो तन्मयता से-
तेरी आराधना करे अगर ,
तू उसको देती शक्ति रूप। 
वह मानव जग में पा जाता ,
सुख , समृद्धि 'औ' शौर्य गान। 
तेरे आशीष से हे माता ,
वह जग जीवन में प्रगति छोर ,
नित आगे बढ़ता दृढ़ता से ,
सब निज कारा दूर हटा। 
विजयी-सिजयी सब होता है -
तेरी अराधना के बल पर। 
माँ शक्तिमयी करुणा की पुंज ,
विजयादशमी का महत्व है तू। 
तूने ही कृपा करी रघुबर,
रावण दुर्दांत  को रण मारा ,
भाव दुनिया को आतंक मुक्त ,
रावण का राज्य मिटा डाला। 
माँ आज परिस्थिति ऐसी है ,
राक्षसी वृत्त को मार-त्याग ,
मानव जग जीवन में होये ,
केवल दुलार 'औ' प्यार-प्यार। 
माँ यही हमारी इच्छा है ,
सब नर तन को हर्षित कर दो ,
आये न विपत्ति कभी यहाँ -
सब जन मन को समृद्धि दो। 




उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
 





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