यही युग की बलिहारी ,
इसी में दुनिया सारी।
कंप्यूटर का युग आया है ,कर लो अब ईमेल।
नहीं है जाना यहाँ वहां अब,देख लो सब का मेल।
दूर -दूर की अच्छी बातें ,जग भर की सब सच्ची बातें।
मिनटों में हो जाये ,दबा के बटन तो देखो।
नज़र कर इधर तो देखो।
जीवन का सब रंग मिलेगा ,बातें भी रंगीन।
साजन हो, चाहे हो सजनी ,सब का यहाँ पे मेल।
जरा तुम फेसबुक को देखो ,जरा उस बुक को खोलो।
वह न लजाती , न शरमाती ,करती बहुत निहाल।
देख -देख कर थक जाओगे ,उनका देख कमाल।
धका-धक बटन दबाओ ,
फटा -फट तुम मुस्काओ।
हुनर बहुत है इस कंप्यूटर में ,इसकी अजब है माया।
काया -तो-काया खूब देखो ,पैसे की भी छाया।
घर बैठे जो काम करोगे ,दाम मिलेगा अच्छा।
काम है सच्चा ,पैसा सच्चा ,नहीं दगा है कोई।
ईमेल ,बैंकिंग सेवा है इसमें भरमार।
नहीं मिलेगा कोई गच्चा ,गर तुम भारत लाल.
यही सन्देश है मेरा ,
जगत का पट तुम खोलो।
नहीं कुछ मुख से बोलो। ................ (शेष कल )
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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