दीपदान का पर्व सुहाना।
मंगल गीत, मंगलमय हो।
गण-गण -गण गणपति देवा तो,
रिद्धि-सिद्धि सभी कुछ दें।
पूर्ण कामना के पालक वो ,
सब में प्रेम सुध भर दे।
धन,वैभव , लक्ष्मी ,सम्पदा ,
हर जान को सिद्ध वर दें।
दीपदान का पर्व महान है।
आरती पूजा अर्चन हो,
सरे नर तन आल्हादित हों ,
धूम धड़ाका करते जोर।
पोर-पोर ,हर रोम-रोम में ,
ख़ुशी लहार दौड़े बौराय।
प्रेम सुधा का अमर पर्व यह ,
सब को संभव दृष्टि दे।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव-
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