विजय पर्व, उल्लास, सहज समृद्धिशाली।
शील, बिनय "औ" प्रेम सदा सहोदरवाली।
लोक बने महान, अतुल हो वैभवशाली।
कीर्ति फैले विश्व पटेल पर सुखदवाली।
जन मन में से दोष, मोह "औ" ईर्ष्या क्षय हो।
वीर बहादुर सैनिक रण पर डेट रहे वो।
हम सब के हैं बंधू, पुत्र "औ" सहज रहे वो।
दुश्मन के सीने पर मारे गोली सारी।
जो भी शीश उठाये विद्वेष भाव से
उसको वह तो गर्त मिला हो वैभवशाली।
विजयदशमी पर्व सदा हर वर्ष है आता।
राम हमारे राम, शक्तिके अतुल प्रदाता।
उनका ही अनुसरण करे हम सब जन मिलकर।
मस्तक ऊंचा करे सभी तिरंगा धारी।
भारत माँ पर गर्व, गर्व है इस वसुधा पर।
प्रेम परस्पर बाटे "औ" हो अतुलितबलशाली।
-उमेश चंद्र श्रीवास्तव
लोक बने महान, अतुल हो वैभवशाली।
कीर्ति फैले विश्व पटेल पर सुखदवाली।
जन मन में से दोष, मोह "औ" ईर्ष्या क्षय हो।
वीर बहादुर सैनिक रण पर डेट रहे वो।
हम सब के हैं बंधू, पुत्र "औ" सहज रहे वो।
दुश्मन के सीने पर मारे गोली सारी।
जो भी शीश उठाये विद्वेष भाव से
उसको वह तो गर्त मिला हो वैभवशाली।
विजयदशमी पर्व सदा हर वर्ष है आता।
राम हमारे राम, शक्तिके अतुल प्रदाता।
उनका ही अनुसरण करे हम सब जन मिलकर।
मस्तक ऊंचा करे सभी तिरंगा धारी।
भारत माँ पर गर्व, गर्व है इस वसुधा पर।
प्रेम परस्पर बाटे "औ" हो अतुलितबलशाली।
-उमेश चंद्र श्रीवास्तव
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