चौखट से बेटी विदा हुई ,
पापा के आंसू भर आए।
पापा के आंसू भर आए।
माता , बहना 'औ' भाई भी ,
सिसके-सिसके जीभर रोये।
सिसके-सिसके जीभर रोये।
जाये जिस घर मेरी बेटी ,
ससुराल का वह सम्मन करे।
पति,सास,ससुर,ननद,बुआ ,
सब को ही नित्य प्रणाम करे।
सेवा से अपनी बेटी तो ,
सब जन के मन हरषाये।
विध्वंसक बातें कभी न हों ,
सदभाव की अमर बेल बढे।
बेटी तुम वहां रहो ऐसा ,
उनके कुल का ही नाम बढे।
पापा तो दुआएं देते हैं ,
तेरा घर सदा खुशाल रहे।
कष्टों की आंच कभी न हो ,
तेरे ससुराल की शान बढे।
तू हँसी-खुशी से रहे वहां ,
पापा की छाती फूल बढ़े।
पापा का आशीष यही बेटी ,
तू फूले-फले खुशहाल रहे।
विध्वंसक बातें कभी न हों ,
सदभाव की अमर बेल बढे।
बेटी तुम वहां रहो ऐसा ,
उनके कुल का ही नाम बढे।
पापा तो दुआएं देते हैं ,
तेरा घर सदा खुशाल रहे।
कष्टों की आंच कभी न हो ,
तेरे ससुराल की शान बढे।
तू हँसी-खुशी से रहे वहां ,
पापा की छाती फूल बढ़े।
पापा का आशीष यही बेटी ,
तू फूले-फले खुशहाल रहे।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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