दोनों रचनाएँ महाग्रंथ ,
एक 'रामायण' एक 'महाभारत'।
दोनों में भाई मूल स्वर ,
एक में भाई का भाईपन ,
गद्दी देने की होड़ लगी।
दूजे में एक इंची भूमि ,
देने को भाई राजी नहीं।
है एक समाज पर काल अलग।
कैसी समता कैसा विरोध।
यह भारत देश यह भारत देश।
यह भारत देश हमारा है ,
जिसमे हम रहते बन प्रदेश।
कैसा यह झगड़ा आज बना ,
इनका प्रदेश ,उनका प्रदेश।
सत्ता के भी गलियारे में ,
यह चला-चली का खेल वार।
कोई पानी के नाम लडे ,
कोई को चाहिए नव प्रदेश।
भाईचारा की बात कहाँ ?
महाभारत का अंग देश।
'रामायण' घर घर पढ़ते हैं ,
पर गढ़ते सदा 'महाभारत'।
अब कहाँ रहे कृष्णा भाई।
अब कहाँ बांसुरी बजती है।
अब राधा कहाँ श्रृंगार किये ,
कृष्णा के बगल ठहरती है।
अब सोलह श्रृंगार का युग गया।
अब हाथ से चूड़ी-कंगना गया,
अब नारी नग्न कलाई ही,
चलती फिरती है इधर-उधर।
सब बात इसी में छिपी हुई।
खोलो कुछ ऑंखें ,खोल देख -
यह युग जो आया-आया है।
इसमें सब चलते अनमेल।
यह भारत देश यह भारत देश। (आगे कल )
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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