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Monday, October 17, 2016

दोनों रचनाएँ महाग्रंथ

दोनों रचनाएँ महाग्रंथ ,
एक 'रामायण' एक 'महाभारत'।
दोनों में भाई मूल स्वर ,
एक में भाई का भाईपन ,
गद्दी देने की होड़ लगी।
दूजे में एक इंची भूमि ,
देने को भाई राजी नहीं। 
है एक समाज पर काल अलग। 
कैसी समता कैसा विरोध। 
यह भारत देश यह भारत देश। 
यह भारत देश हमारा है , 
जिसमे हम रहते बन प्रदेश। 
कैसा यह झगड़ा आज बना ,
इनका प्रदेश ,उनका प्रदेश। 
सत्ता के भी गलियारे में ,
यह चला-चली का खेल वार। 
कोई पानी के नाम लडे ,
कोई को चाहिए नव प्रदेश। 
भाईचारा की बात कहाँ ?
महाभारत का अंग देश। 
'रामायण' घर घर पढ़ते हैं ,
पर गढ़ते सदा 'महाभारत'। 
अब कहाँ रहे कृष्णा भाई। 
अब कहाँ बांसुरी बजती है। 
अब राधा कहाँ श्रृंगार किये ,
कृष्णा के बगल ठहरती है। 
अब सोलह श्रृंगार का युग गया। 
अब हाथ से चूड़ी-कंगना गया, 
अब नारी नग्न कलाई ही,
चलती फिरती है इधर-उधर। 
सब बात इसी में छिपी हुई। 
खोलो कुछ ऑंखें ,खोल देख -
यह युग जो आया-आया है। 
इसमें सब चलते अनमेल। 
यह भारत देश यह भारत देश। (आगे कल )






उमेश चंद्र श्रीवास्तव -




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