month vise

Sunday, October 23, 2016

जब मौत मेरी आये

जब मौत मेरी आये ,बस काम यही करना।
दो बूँद मानवता के ,आंसू  छलका देना। 
वैसे तो गज़ब के लोग ,जीवन में मिलते हैं।
वह बातें करते हैं , अच्छे ही बनते हैं।
पर पीठ में वो तो बस , खंजर ही चुभोते हैं।
मेरी मौत पे ऐ यारों , ऐसों को भगा देना।
बस साथ हमारे वो ,जो हमने किया यारों।
दुःख सुख जो भोगा है  ,पैगाम ही जायेगा।
बाकी तो दुनिया में ,सब यहीं रह जायेगा। 

उमेश चंद्र श्रीवास्तव -

No comments:

Post a Comment

काव्य रस का मैं पुरुष हूँ

A poem of Umesh Srivastava काव्य रस का मैं पुरुष हूँ गीत गाने आ गया | खो रही जो बात मैं उसको बताने आ गया | रात चंदा ने चकोरी से कहा तुम जान ...