हम तो मौन साध कर बैठे,
तुम बोलो मंचों पे खड़े।
हम तो अभी नहीं बोलेंगे ,
तुम बोलो बस अड़े,पड़े।
हम तो तुम्हे दिखा ही देंगे ,
आओगे जब मैदानों में।
तब पूछेंगे वोट कहाँ दे ,
तब तुम खुद ही घिघियाओगे।
हमे लगा लाइन में बंधू ,
तुम बैठे बस बोल रहे।
कहाँ-कहाँ की बात बताऊँ ,
तुम तो ऐठे ,बैठे वहां।
हमको 'सुध' की याद दिलाकर ,
खेल खेलते नीति का।
हमे समझ के गूंगा-बहरा ,
तुम तो बड़े सचेतक हो।
कहाँ गया वह राग तुम्हारा ,
कहाँ गयी वह हेकड़पंथी।
समय बचा है थोड़ा दिन अब ,
छूमन्तर दिखलाओ तुम।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव-
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