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Saturday, December 10, 2016

हम तो मौन साध कर बैठे-2

हम तो मौन साध कर बैठे ,
तुम बोलो मंचों पे खड़े। 


तुम तो बने खिलाडी अव्वल ,
झांक झरोखा ,भीतर-भीतर। 
जनता को ईमान बता कर ,
खुद स्वयंभू बन बैठे। 
बोलो तुमको महाभारत की ,
बात पुरानी मालूम होगी। 
गीता के उपदेशक कृष्णा ,
बहुत दिया उपदेश मगर। 
धर्म कर्म की बात बताओ ,
अब भी अमल कहाँ करते हैं ?
वैसे लगती नीति तुम्हारी ,
लोगों को सच ही बतलाओ। 
मिथ्या का आडम्बर रचकर,
मिथक तोडना चाह रहे हो। 
संचय की है मूल संस्कृति ,
 उसको ही बिगड़ रहे हो। 
कैसे होगा, कितना होगा ,
सबको ही घूमा डाला। 
अब तो बतलाना ही होगा ,
प्लानिंग क्या-क्या योजन है ?


उमेश चंद्र श्रीवास्तव -









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