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Sunday, December 18, 2016

पूरा जीवन है मधुशाला-2

पूरा जीवन है मधुशाला।
पी लो तुम प्यालों पर प्याला।

ऊपर गगन मही है नीचे ,
इसका कोई भान नहीं है।
केवल धुन में झूम रहे हैं ,
पीने वाले ,पीने वाला।

राग द्वेष से मुक्त रहे हैं ,
नहीं बैर से कोई नाता।
सबको बुला-बुला कर देते,
आओ पी लो ,छक मतवाला।

पंथ एक के पथिक बने सब ,
झूम रहे ,पग-पग वो धरते।
घुमा फिरा कर बात न करते ,
कहते चलो-चलो मधुशाला।

राजा-रंक का भेद नहीं है ,
यहां सभी मधुप्रेमी धुन में।
कहते आओ पैग लगा लो ,
जीवन तो मधु है ,मधुशाला।

                                                 पूरा जीवन है मधुशाला।
                                                 पी लो तुम प्यालों पर प्याला।



उमेश चंद्र श्रीवास्तव -


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