सपने हकीकत हो सकते ,
गर आसमान से नीचे ,
धरा पर उतरने की ,
कोशिश हो।
सपने देखना ,
अच्छा गुण है ,
अगर उसमे ,
यथार्थ का दिया जाये पुट।
सपने सदैव अपने होते ,
गर उसे हकीकत का ,
जमा पहनाया जाये।
सपने सलोने होते ,
तो उसे सहेजना जरुरी ,
क्योंकि ,
सुंदरता का निखार ,
संजोने में है।
संजोना ही ,
जीवन की मूल निधि है।
उसे नियत में ,
शामिल कर ही ,
आगे बढ़ा जा सकता है।
वरना सब बेकार।
साकार से परे ,
हो है जाता।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव-
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