पूरा जीवन है मधुशाला।
पी लो तुम प्यालों पर प्याला।
मंदिर-मस्जिद बैर नहीं है,
ना ही यहाँ पर कोई बवाला।
दुःख का कोई भान नहीं है ,
सुख में झूमे सब मतवाला।
रूप सुंदरी की आशक्ती ,
नहीं यहाँ है ,केवल प्याला।
हाला जीवन ,प्याला जीवन ,
झूम रहा हर पीने वाला।
पूरा जीवन है मधुशाला।
भाई-बहन पत्नी है घर में ,
नन्हा-मुन्ना भटके डग में।
'पापा को क्या पड़ी हुई है?'
रोज बने लगते मतवाला।
पूरा जीवन है मधुशाला।...........
पी लो तुम प्यालों पर प्याला।
मंदिर-मस्जिद बैर नहीं है,
ना ही यहाँ पर कोई बवाला।
दुःख का कोई भान नहीं है ,
सुख में झूमे सब मतवाला।
रूप सुंदरी की आशक्ती ,
नहीं यहाँ है ,केवल प्याला।
हाला जीवन ,प्याला जीवन ,
झूम रहा हर पीने वाला।
पूरा जीवन है मधुशाला।
भाई-बहन पत्नी है घर में ,
नन्हा-मुन्ना भटके डग में।
'पापा को क्या पड़ी हुई है?'
रोज बने लगते मतवाला।
पूरा जीवन है मधुशाला।...........
(शेष कल )
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
No comments:
Post a Comment