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Wednesday, December 21, 2016

तुम सहारा बनो , मैं सहारा बनूँ

तुम सहारा बनो,मैं सहारा बनूँ ,
ज़िन्दगी के डगर साथ चलते रहें। 
तुम न अपना कहो ,हम न अपना कहें ,
ज़िन्दगी के सफर साथ चलते रहे। 
तुम पे बीती जो बीती ,वो तुम जानती ,
मैं न पूछूँगा ,न तुम बताना मुझे। 
पूछने-पाछने में बिगड़ते हैं दिन ,
सच डगर है ,इसी में हम ढलते रहें। 
कोई बातें अगर दिल में हो जो सनम ,
जिससे आगत सुनहरा बने तुम कहो। 
हम भी वो भी कहेंगे ,और तुम भी कहो ,
ज़िन्दगी का सफर कुछ सुहाना बने। 
तुम सहारा बनो,मैं सहारा बनूँ ,
ज़िन्दगी के डगर साथ चलते रहें। 




उमेश चंद्र श्रीवास्तव -

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