तुम सहारा बनो,मैं सहारा बनूँ ,
ज़िन्दगी के डगर साथ चलते रहें।
तुम न अपना कहो ,हम न अपना कहें ,
ज़िन्दगी के सफर साथ चलते रहे।
तुम पे बीती जो बीती ,वो तुम जानती ,
मैं न पूछूँगा ,न तुम बताना मुझे।
पूछने-पाछने में बिगड़ते हैं दिन ,
सच डगर है ,इसी में हम ढलते रहें।
कोई बातें अगर दिल में हो जो सनम ,
जिससे आगत सुनहरा बने तुम कहो।
हम भी वो भी कहेंगे ,और तुम भी कहो ,
ज़िन्दगी का सफर कुछ सुहाना बने।
तुम सहारा बनो,मैं सहारा बनूँ ,
ज़िन्दगी के डगर साथ चलते रहें।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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