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Monday, January 16, 2017

चिंतन गर शब्दों पर होगा ,

चिंतन गर शब्दों पर होगा ,
नए अर्थ का होगा विस्तार । 
अनुजा ,तनुजा ,सुगम ,संगत ,
सबका अपना-अपना तार। 
दृष्टि नयी देता है शब्द ही ,
गर तुम गौर से चिंतन कर लो। 
शब्द पड़े तमाम सागर में ,
गागर ,सागर अर्थ निकालो। 
एक शब्द है 'दुर्गति' यारों ,
स्त्रीलिंग यह शब्द रहा। 
ध्यान करो ,संकेत मिलेगा ,
अपने संयम को पहचानो। 
जिसने भी यह किया प्रयोग ,
वह तुमको देता है ऊर्जा। 
पुरुष रहो तुम ,पुरुष बनो ही ,
अपना बुद्धि, विवेक धरो। 
अर्थ-अर्थ में ,अर्थ न समझो ,
उसको समुचित कर विस्तार। 
अपनी निजता को सँवारो ,
बन जाओ तुम जग उद्धार। 
अब तुम बन के जग उद्धारक ,
दृष्टि नई 'औ' सोच को दो। 
जीवन सफल रहेगा हरदम ,
पर तुम शब्द पर गौर करो।  




उमेश चंद्र श्रीवास्तव -

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