अपना भारत देश है प्यारा ,
बुलंद होगा जन-मन का नारा।
लोकतंत्र की मर्यादा है ,
इसका हम सम्मान करें।
जो भी बनी व्यवस्थाएं हैं ,
उस पर हम अभिमान करें।
लोकतंत्र के सफल पहरुओं ,
तुम पर सब कुछ निर्भर है।
चाहे मर्यादा को बनाओ ,
या खंडित कर तार करो।
लाठी तुम्हारी,भैंस तुम्हारी ,
जो भी चाहे कर लो तुम।
पर जनता तो देख रही है ,
आपा में रहना हरदम।
पांच वर्ष में हुई जो चर्चा ,
जनता ने भी झेली है।
अब थोड़ा सा मर्म की बातें ,
जनता जानिब करते हो।
माना साल तुम्हारा बीता ,
अपना काम गिनाओ तुम।
पर जनता को झूठी तसल्ली ,
मत दो ,सत्य बताओ तुम।
पांच वर्ष तक गूंगी बहरी ,
जनता को समझा तुमने।
अब तो निर्णय जनता देगी ,
थोड़ा सा कुछ शर्म करो।
अपनी लड़ाई ,अपनी बड़ाई में ,
झूमे तुम तो सालो तक।
अब मत झूठी बात न कहना ,
जनता निर्णय देगी अब।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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