तुम्हारी नज़रों से ही है मिलता,
पूरे जहाँ की ख़ुशी, मोहब्बत ।
तुम्हारी नज़रों से हमने देखा,
चंदा 'औ' सूरज सभी नज़ारे।
ज़हाँ के दर्दों-ग़मों को देखा ,
ग़ुरबत में लोगो को सीते देखा।
गंगा-जमुनी के सब नज़ारे ,
नहीं है कोई भी यह फलसफा।
जीवन की सब कुछ,सभी सच्चाई ,
वो भी है मंज़र ,ये भी है बातें।
सभी को हमने नज़र से देखा ,
तुम्ही बताओ क्या कुछ है जादू ?
तुम्हारी नज़रें तो हैं पैगम्बर ,
इसी में मैंने दिगंबर देखा।
तुम्हीं बताओ कि तुम बला क्या,
सारे जहाँ का सुकूँ है मिलता।
ज़हाँ के दर्दों-ग़मों को देखा ,
ग़ुरबत में लोगो को सीते देखा।
गंगा-जमुनी के सब नज़ारे ,
नहीं है कोई भी यह फलसफा।
जीवन की सब कुछ,सभी सच्चाई ,
वो भी है मंज़र ,ये भी है बातें।
सभी को हमने नज़र से देखा ,
तुम्ही बताओ क्या कुछ है जादू ?
तुम्हारी नज़रें तो हैं पैगम्बर ,
इसी में मैंने दिगंबर देखा।
तुम्हीं बताओ कि तुम बला क्या,
सारे जहाँ का सुकूँ है मिलता।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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