poem by Umehs chandra srivastava
अर्धसत्य खिसियाता है।
जीवन में जीना हो यारों ,
कोई सत्य ना अपनाओ।
केवल रक्खो बात समझ से ,
झूठ यहाँ पर चलता है।
सत्य आवरण में ही खिलता ,
केवल पढो किताबों में।
चाहे देखो कृष्ण चरित्र को ,
चाहे राम का सच देखो।
इसी धुरी पर चले सभी हैं ,
गांधी बाबा अलग रहे।
गांधी केवल यह कहते थे ,
राम-रहीम का दर्शन एक।
सत्य रहो ,भाई-चारा हो ,
ईश्वर-अल्ला तेरे नाम।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव-
poem by Umehs chandra srivastava
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