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Thursday, March 16, 2017

पूर्ण सत्य कोहराम मचाता

poem by Umehs chandra srivastava 

पूर्ण सत्य कोहराम मचाता ,
अर्धसत्य खिसियाता है। 
जीवन में जीना हो यारों ,
कोई सत्य ना अपनाओ। 

केवल रक्खो बात समझ से ,
झूठ यहाँ पर चलता है। 
सत्य आवरण में ही खिलता ,
केवल पढो किताबों में। 

चाहे देखो कृष्ण चरित्र को ,
चाहे राम का सच देखो। 
इसी धुरी पर चले सभी हैं ,
गांधी बाबा अलग रहे। 

गांधी केवल यह कहते थे ,
राम-रहीम का दर्शन एक। 
सत्य रहो ,भाई-चारा हो ,
ईश्वर-अल्ला तेरे नाम। 




उमेश चंद्र श्रीवास्तव- 
poem by Umehs chandra srivastava 

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