poem by Umesh chandra srivastava
छंदों का मतलब वेद, वर्ण ,
छंदों में मात्राएँ, गिनती।
वह शास्त्र जहाँ पर छंदों के ,
रचना, नियम, विवेचन हों।
छंदों का सीधा अर्थ हुआ ,
जो बंधा हुआ या रचा हुआ।
इस बंद में बिम्बों का खिलना ,
उद्गार सभी रस का मिलना।
वैसे तो छंद अनेकों हैं ,
दोहा ,चौपाई बहु चर्चित।
तुलसी की रामायण पूरी ,
इस छंद विधान में गाढ़ी हुई।
कबीरा ने भी तो दोहे में ,
अपनी सारी ही बात कही।
पर लीलाओं का वह चित्रण ,
खुब सूर ने अपने पद में लिखा।
मीरा का प्रेम समर्पण सब ,
मीरा के गीतों में ही बही।
सब बात पते की अनुभवगत ,
रहीम-रसखान ने खूब कही।
वह युग था केवल छंदों का ,
सुन्दर बातें ,सब छंदों में।
कुंडलियों में देखो खूब ही ,
उन लोगों ने सब बात कही।
अब नवयुग है ,नवयुग में तो.................
उमेश चंद्र श्रीवास्तव-
poem by Umesh chandra srivastava
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