माँ तुम केवल ममतावाली ,माँ तुम मेरी शक्ति हो।
बिन तेरे माँ इस दुनिया में ,बोलो कौन सी भक्ति हो।
माँ के चरणों के रज में तो,अमृत सा रस पान मिले।
माँ की बदौलत बच्चा उसका ,पूरे जग की शान बने।
माँ का आंचल दूध भरा है , माँ के नयनों में है प्यार।
माँ के अधरों पर खुशियों का ,पूरा का पूरा संसार।
माँ का ह्रदय सुहावन घन है ,माँ की गोद अमर वरदान।
माँ से ही हम आये यहाँ पे ,माँ से ही सब बात खिले।
माँ की बलईयाँ पवन-सावन ,माँ का रूप सलोना है।
बोलो ,बताओ इस धरती पर ,माँ के आलावा सुन्दर क्या ?
माँ देती बच्चों को सब कुछ ,माँ के कारण हम बढ़ते।
माँ के आशीषों से हममें ,रक्त प्रवाहित, दृष्टि मिले।
मन की मुखरित हैं सब बातें ,मन से केवल प्रेम खिले।
सदा-सदा वह निज बच्चों को ,चाहे वह खूब फले,बढ़े।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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